
चौदह बरस के बाद,
अवध में लौट आएं श्रीराम।
धर्म ध्वजा फहरा कर,
अवध में लौट आए श्रीराम।।
पतितों का उद्धार किया और
दुष्टों का संहार किया।।
तपोभूमि में कठिन साधना,
दंडकारण्य में धर्म स्थापना ।।
रामेश्वरम में शिव का वंदन,
लंका तक किया सेतु बन्धन।।
आताताइयो से संतों को ,
भयमुक्त कर आएं राम।।
अवथ में लौट आए श्रीराम।।
कोमल थें पद, कठोर पदगामी।
कंकड़, कंटक से हार ना मानी।।
अनवरत चलते ही रहते।
वन के हर कष्टों को सहते।।
फिर मुस्कुराते रहे श्रीराम।।
अवध में लौट आए श्रीराम।।
आर्यावर्त के ओ! नर-नारी।
चलों! करें स्वागत की तैयारी।।
जिस पथ से श्रीराम आ रहें
दीपावली कर उस पथ पर सजाएं।
तोरणद्वार चलों बनाएं,
पथ में पुष्पों को बिछाए।।
चलों सजाएं आरती की थाल
अवध में लौट आए श्रीराम।।
मंगलाचरण से स्वागत करें हम
मंत्रोच्चार करें श्रेष्ठ ब्राह्मण जन
आज का दिवस है कितना महान
अवध में लौट आए श्रीराम।।
समाप्त
हिमांशु पाठक
हल्द्वानी, उत्तराखंड