आखिर क्यूं आखिर क्यू-“कुलदीप सिंह रुहेला”

लेखक के मन की वेदना

शब्द शब्द की कल्पना
करके थक कर में चूर हुआ
कोई पढ़ने को भी नही
पढ़ता रचना हमारी
ये अब में सोचने पर मजबूर हुआ
किसी को कदर नही हमारी
कोई मेहनत कितनी करता है
लिखने में सारी रात दिन जागकर
अपनी रचना में सुंदर रंग भरता है
किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता
अपनी लेखनी सबको अच्छी लगती है
बस अक्सर दूसरे की खुशी
किसी को कहा अच्छी लगती है
अपनी जिंदगी से भी लोगो को फुर्सत कहा
यहां हम मिलके सबका हौसला बढ़ाते हैं
सबकी लेखनी का लाइक कमेंट
करके सभी रचनाकारों का हौसला बढ़ाते हैं
हमको भी अच्छा लगता है
अपनी तारीफ सुनना
पर हमारे साथ क्यू लोग
सौतेला व्यवहार अपनाते
आखिर क्यूं हम किसी की
नजर में नही चढ़ पाते है
आखिर क्यू!

कुलदीप सिंह रुहेला
सहारनपुर उत्तर प्रदेश

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