दोनों हाथ जोड़ कर प्रार्थना करें मंदिर में , या फिर महज़ एक हाथ से किसी को दें सहारा, क्या है बेहतर?
प्रसाद चढ़ायें मंदिर में , या फिर किसी भूखे को दे दें एक निवाला, क्या है बेहतर?
परमेश्वर भी आख़िर क्या है चाहता , यही कि आप करें किसी ज़रूरतमंद की सहायता।
किसी गरीब के अगर आप पोंछ सकें आँसू, तो फिर कितना मिलेगा आपको सुकून——-!
किसी की मदद करने को बना लो अपना जुनून।
ज़रूर जाओ मंदिर , परमेश्वर के आगे हाथ जोड़ो, लेकिन किसी से भी मुख ना मोड़ो।
किसी की भी आस्था या विश्वास को कभी भी ना तोड़ो।
नतमस्तक अवश्य हों प्रभु के सामने, लेकिन महानुभाव वो हैं जो किसी गरीब के हाथ लगते हैं थामने।
यक़ीनन आपको ही करना पड़ेगा फ़ैंसला, आप सही निर्णय लेंगे , ये है मुझे हौंसला।
क्या चाहता है वो मौला, वो रब , वो मालिक, यही कि पूरे विश्व में हो अमन और शान्ति।
तो क्यों ना हम मिल कर इस कायनात में लायें हँसी और ख़ुशी की क्रान्ति——?
है सम्भव , नहीं है मुश्किल , बस दिलों से मिला लो दिल——-फिर अहसास प्रीत की चारों ओर दिखेगी झिलमिल——!!!
लेखक——-निरेन कुमार सचदेवा।
Let’s all pledge that we shall help anyone who needs our help , just think 🤔 about it my dears .
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Jai shree ram 🌹🙏waah waah khoob 👌👌✍️✍️