तिल भी क्या चीज़ है , जो गुड पे लगा वो गजक हो गया——-जो गाल पे लगा , तो ग़ज़ब हो गया।
सच कहें तो ये मामला कुछ अजब हो गया।
तिल गुड पे लगा , तो गुड हो गया अज़ीज़——तिल चेहरे पे लगा , तो वो चेहरा हो गया अज़ीज़।
तिल गुड पे लगा तो वो हो गया स्वादिष्ट——, तिल चेहरे पर लगा तो , तो वो बन गये हमारे इष्ट।
तिल गुड पे लगा तो , उसे खा मिली ख़ुशी——तिल चेहरे पे लगा तो उस चेहरे को देख आयी मदमस्त हँसी।
तिल गुड पे लगा तो, गुड और बिकने लगा——तिल चेहरे पर लगा तो, उस चेहरे को देख , दिल और धड़कने लगा।
तिल गुड पे लगा तो, गुड की बदल गई रंगत——तिल चेहरे पर लगा तो , उस चेहरे को देख बदल गई हमारी नीयत।
तिल गुड पे लगा तो, गुड का रंग हो गया कुछ और गहरा——-तिल चेहरे पर लगा तो , उस चेहरे को देख निखर उठा हमारा भी चेहरा।
तिल गुड पे लगा तो, कुछ ज़्यादा हो गई गुड की अहमियत——-तिल चेहरे पे लगा तो , उस चेहरे से हो गई हम को मोहब्बत।
तिल तो तिल ही है , लेकिन वो कहाँ लगता है , इस पर है बहुत कुछ निर्भर ।
चेहरे पर लगने से , ये तिल जवाँ दिलों की धड़कनों पर करने लगता है भरपूर असर।
पूछो क्यों, क्योंकि तिल चेहरे पर लगे तो बढ़ जाता है चेहरे का शृंगार——-और दिलकश चेहरे से तो फिर हर किसी को हो जाता है प्यार———!
लेखक——निरेन कुमार सचदेवा।