एक यार ने मुझ से पूछा, क्यूँ लिखते रहते हो बेतहाशा, आख़िर क्या है तुम्हारी इच्छा, क्या है अभिलाषा।
मैंने कहा , लिखना मेरी रुचि है , है मेरा शौक़, इस में है क्या बुराई?
ख़ुशियाँ ही बाँट रहे हैं, कर रहें है सब की भलाई।
फिर यार ने कहा, अब हो चुके हैं bore, नहीं चाहिए अब more!!
मैंने कहा, है option, कर दो मुझे block—- मैं तो लिखता ही रहूँगा round the clock।
नालायकों ने अब तक नहीं किया block, तो अब भरना पड़ेगा जुर्माना।
रोज़ पेश करता रहूँगा आप के लिए नज़राना———-!
मानता हूँ मैं ये कि , ये एक अजीब ओ गरीब है शौक़, अब लिखने की पड़ चुकी है आदत।
ना चाह कर भी नहीं रोक सकता अपने आप को, लिखते रहना ही है अब मेरी फ़ितरत।
और सच पूछो तो इक्का दुक्का शख़्स , कभी कभी कह देता है इरशाद—-!
ऐसे लोगों की संख्या ज़्यादा हो, यही है उस ख़ुदा से मेरी फ़रियाद।
सच बताना दोस्तो, क्या मेरी लेखनी पढ़ कर, क्या आप को भी आता है मज़ा?
या फिर आपको लगता है कि मैं कर रहा हूँ एक ख़ता?
आपके जवाब का मुझे रहेगा इंतज़ार, आप सच ही कहोगे, है मुझे ऐतबार।
और अगर आपने नहीं दिया कोई जवाब, तो आप को पढ़नी ही पड़ेगी मेरी शायरी जनाब।
है टूटी फूटी शायरी, मैं तुच्छ हूँ शायर——दुआ दो मेरे अज़ीज़ो कि मैं लिखने में हो जाऊँ
माहिर——-!!!
लेखक——-निरेन कुमार सचदेवा।
Expecting an honest answer my dears .
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Wah wah bhaut bhaut khoob 👌👌✍️✍️