ऐसी है आजकल की औलाद-“निरेन कुमार सचदेवा”

जब बच्चे कहते हैं कि तुमने किया ही क्या है हमारे लिए , तो ये सुन दम तोड़ देती है माँ बाप की ममता।
लानत है ऐसे नालायक बच्चों पर , जिन में ये कहने की है क्षमता ।
ऐसे बच्चों को तो उसी वक़्त घर से बाहर निकाल फेंक देना चाहिए , लेकिन माँ बाप तो ना जाने बने हैं किस मिट्टी के ?
डाल देना चाहिए ऐसे नाशुकरे बच्चों को एक जलती हुई भट्टी में।
नौ महीने जिस माँ ने कोख में रखा , और इतनी यातनाएँ उठाईं , आज उस माँ को दे रहे हो तुम ये मान ?
अगर माँ बाप नो होते तो तुम्हारा आज इस जहान में ना होता नाम ओ निशान ।
प्रेम प्यार की अनोखी मूर्त होते हैं माँ बाप , उनके लिए ऐसे शब्द बोलना , है घोर अन्याय , घोर पाप।
और सच पूछो को माँ बाप से कोई बच्चा अगर कोई अनाप शनाप सवाल करेगा तो वो फिर भी हँस देंगे , कहेंगे ये बालक है नादान शत शत प्रणाम है माँ बाप को , ये वास्तव में हैं महान ।
कैसे नज़रंदाज कर देते हैं औलाद की ग़लतियों को , उफ़ तक नहीं करते , आजकल के बच्चों को इस बात का नहीं है कोई अंदाज़ा।
भद्दे भद्दे सवाल करते हैं माँ बाप से, उनका अनादर करते हैं , करते हैं उन से तक़ाज़ा ।
अरे मूर्खो , माँ बाप के तो चरण धो धो कर पीने चाहिए , मिलेगा तुम को अमृत रस , मिलेगा ज्ञान , मिलेगी बुद्धि , शायद तब हो जाए तुम्हारी शुद्धि ।
माँ बाप ख़ुद भूखे रह जाएँगे , सिर्फ़ इसलिए कि बच्चों की भूख मिट जाए , उनको मिल जायें दो निवाले , कुछ इस तरह से भी कई लोगों ने अपने बच्चे हैं पाले ।
शर्म आती है ये सोच कर कि कितनी ख़ुदगर्ज़ है आज कल की औलाद , प्यार मिट चुका है , इनके दिल पत्थर के हो गए हैं, बन गए हैं फ़ौलाद ।
ज़रा सी देर हो जाए बच्चों को घर आने में तो माँ बाप कैसे इंतज़ार करते हैं , थक जातीं हैं उनकी आँखें ।
बच्चों की तीमारदारी करते करते माँ बाप गुज़रते हैं बिन पलक छपके कई रातें ।
माँ की गोद में जन्नत का अहसास होता है , ये आजकल के बच्चे नहीं जानते , हैरान हूँ ये देख कर कि कैसे ये जज़्बात दिलों को अटूट रिश्तों में है बाँधते ।
माँ बाप एक नियामत हैं , एक सौग़ात हैं , अगर माँ बाप हैं सलामत , तो ज़िंदगी में ख़ुशहाली है , आजकल के बच्चे नहीं जानते ये हक़ीक़त ।
लेखक——निरेन कुमार सचदेवा
This is our Modern civilisation!!!

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