जब कोई कवि को हो जाता है प्यार-“निरेन कुमार सचदेवा”

तुम्हें सोचा तो हर सोच से ख़ुशबू आयी, तुम्हें लिखा तो हर अल्फ़ाज़ लगा महकने, और ये क्या हम भी लगे बहकने।
और ये क्यूँ टेड़ी मेड़ी सी हो रही है लिखाई?
ये क़लम भी है थिरकने लगी, क्यूँकि इस पर शायद जुनूनियत इश्के मोहब्बत की खुमारी है छाई!
लेकिन स्याही की रंगत में आकस्मात आ गया है बहुत निखार, ये स्याही बखूबी जानती है कि क्या होता है अहसासे प्यार।
पन्ने भी उड़ रहे हैं, इसीलिए हवाओं में भी दिख रहा मोहब्बत का असर है।
हो रहीं हैं अजीब ओ गरीब हरकतें , क्या उसे भी इस बात की खबर है?
अगर वो बेख़बर है तो कोई उसके पास पहुँचा दे मेरा संदेशा।
दिल बहुत ज़ोर से धक धक कर रहा है, क्या उसके आने का है अंदेशा?
क्या बताएँ , ना अपने आप पर, ना दिल की धड़कनों पर है क़ाबू , अरमान भी हो रहें हैं बेक़ाबू!
शायद वो कहीं क़रीब है, नहीं तो वातावरण में क्यूँ महक है चंदन की?
ख़ैर , हम तो बेसब्री से इनतज़ार कर रहें हैं उसके आगमन की।
क्या बताएँ क्या दुर्दशा है हमारे मन की!
मन भी है बेहाल , कब आएगी वो, हज़ारों बार पूछ चुका है ये सवाल?
इस इश्क़ ने तो मचा रखा है हमारी ज़िंदगी में बवाल।
लेखक——-निरेन कुमार सचदेवा
If you are in love 😻, you may not be at peace all the time!

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