दोस्ती – “निरेन सचदेवा”

ना किसी लड़की की चाहत , ना ही पढ़ाई का जज़्बा था , बस चार कमीने दोस्त थे और आख़िरी बेंच पर क़ब्ज़ा था ।
कितने साल बीत गए लेकिन इन कमीने दोस्तों का आज भी बरक़रार है वो
कमीनापन !!
आज भी बाज़ नहीं आते , बहुत बिगड़े हुए हैं आज भी कभी कभी देते हैं गालियाँ , और महफ़िल में बैठे हुए बाक़ी लीग भी उस्ताद हैं , बजाने लगते हैं तालियाँ !!
कैसे बीत गए वो बचपन के दिन , बहुत मस्ती करते थे हम हुज़ूर ।
दोस्त हैं तो ही ख़ुशहाल ज़िंदगी है , बहुत मायूसी होती हैं , अगर दोस्त हैं हम से दूर ।
आख़िरी सीट पर बैठ कर ना ख़ुद पढ़ते थे और ना हमें पढ़ने देते थे , करते थे बहुत मस्ती ।
यारों , दोस्ती में धन दौलत का महत्व नहीं है , बस प्यार है लाजिम , प्यार ही है हस्ती ।
वो कंचे खेलना , पिठु खेलना , खेलना गुल्ली डंडा , और कई बार अनबन होने पर दोस्त के सर पर फोड़ देना अंडा ।
और फिर कुछ अफ़सोस ना होना , ख़ूब हँसना और मुस्कुराना , कहाँ गुम हो गया है वो फुरसतों का ज़माना ?
चंचल थे हम , फिर भी सादगी थी , एक आकर्षण था , प्रेम था , थी सरलता , कुछ भी कह लो वो गुज़रे वक़्त अच्छे थे , जागरूक थी मानवता ।
जिस दिन रिपोर्ट कार्ड आना , शुरू हो जानी घबराहट , मालूम था कि अगर फ़ेल गए तो सुननी पड़ेगी थप्पड़ों की आहट ।
नालायक थे फिर भी रूतबा कम नहीं था , माँ बाप की छत्र छाया थी , किसी चीज़ का ग़म नहीं था ।
लड़कियों का चक्कर नहीं था , बहुत कुछ बदल गया जब क़दम रखा जवानी में , बहुत जोश आने लगा फिर ख़ून की रवानी में ।
आफ़रीन है उन दोस्तों पर जो बचपन से हमारे साथ हैं , उन दोस्तों पर हमें नाज़ है ।
इन्हीं दोस्तों के आस पास होने पर बुलंद होती हमारी आवाज़ है ।
या खुदा ये दोस्ती हमारी सदियों सदियों तक सलामत रहे , बस हसरत ये है की तेरी नज़रें इनायत रहे ।
कमीने दोस्तों के साथ होने में अपना एक सुरूर है , इन नालयाकों पर हमें आज भी ग़ुरूर है ।
कितने भी कमीने हों , लेकिन साथ हमारा देते हैं जब भी हो ज़रूरत , दिन रात एक कर देते हैं जब आती है हम पे कोई मुसीबत ।
जज़्बातें दोस्ती का अहसास अपने आप में एक बहुत उमदा अहसास है , सारी कायनात है हमारे साथ अगर दोस्त हमारे पास है ।
यारों दोस्ती में कभी दग़ाबाज़ी ना करना , दोस्त है एक ख़ज़ाना , दोस्ती में कभी ना आए दरार , हमेशा बना रहे प्यार ।
दोस्ती में ना कभी आए ख़यानत , दोस्ती निभाना जब तक क़ायम है ये दुनिया , जब तक ना आ जाए कोई क़यामत ।

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