नारी-“सन्तोष पांडेय”

मैं नारी हूँ, मैं नारी हैं l
मानवता की फुलवारी हूँ ll

चिंगम नहीं चबा जाओगे l
चौमिंग नहीं पचा जाओगे ll
गाजर नहीं उखड़ जाऊँगी l
सिगरेट नहीं जला जाओगे ll

भष्मासुर को भष्म बना दूं l
विष से बुझी कटारी हूँ ll
मैं नारी हूँ मैं नारी हूँ l
मानवता की फुलवारी हूँ ll

मैं हूँ दुर्गा, मैं गायत्री l
मैं राधा सीता सावित्री ll
सत शिव शक्ति सभी में आधा l
मैं हूँ सब की जन्मदात्री ll

धुंआ धुंआ अम्बर को कर दूँ l
मैं ऐसी चिंगारी हूँ ll
मैं नारी हूँ, मैं नारी हूँ l
मानवता की फुलवारी हूँ ll

गौतम नानक मैंने जाया l
ईश्वर को पालना झुलाया ll
मीरा तुलसी सूर कबीरा l
सबने मेरा गौरव गाया ll

मैं हूँ राग रागिनी खुशबू l
सारी दुनियादारी हूँ ll
मैं नारी हूँ, मैं नारी हूँ l
मानवता की फुलवारी हूँ ll

मेरे बिना नहीं रह सकते l
खुशियाँ कहीँ नहीं पा सकते ll
“सरित” हमारे बिना कहीं भी l
अपना बीज नहीं बो सकते ll

मुझको अंगीकार करोगे l
मैं नर की लाचारी हूँ ll
मैं नारी हूँ, मैं नारी हूँ l
मानवता की फुलवारी हूँ ll

ग्राम कवि सन्तोष पांडेय “सरित” गुरु

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