
मैं नारी हूँ, मैं नारी हैं l
मानवता की फुलवारी हूँ ll
चिंगम नहीं चबा जाओगे l
चौमिंग नहीं पचा जाओगे ll
गाजर नहीं उखड़ जाऊँगी l
सिगरेट नहीं जला जाओगे ll
भष्मासुर को भष्म बना दूं l
विष से बुझी कटारी हूँ ll
मैं नारी हूँ मैं नारी हूँ l
मानवता की फुलवारी हूँ ll
मैं हूँ दुर्गा, मैं गायत्री l
मैं राधा सीता सावित्री ll
सत शिव शक्ति सभी में आधा l
मैं हूँ सब की जन्मदात्री ll
धुंआ धुंआ अम्बर को कर दूँ l
मैं ऐसी चिंगारी हूँ ll
मैं नारी हूँ, मैं नारी हूँ l
मानवता की फुलवारी हूँ ll
गौतम नानक मैंने जाया l
ईश्वर को पालना झुलाया ll
मीरा तुलसी सूर कबीरा l
सबने मेरा गौरव गाया ll
मैं हूँ राग रागिनी खुशबू l
सारी दुनियादारी हूँ ll
मैं नारी हूँ, मैं नारी हूँ l
मानवता की फुलवारी हूँ ll
मेरे बिना नहीं रह सकते l
खुशियाँ कहीँ नहीं पा सकते ll
“सरित” हमारे बिना कहीं भी l
अपना बीज नहीं बो सकते ll
मुझको अंगीकार करोगे l
मैं नर की लाचारी हूँ ll
मैं नारी हूँ, मैं नारी हूँ l
मानवता की फुलवारी हूँ ll
ग्राम कवि सन्तोष पांडेय “सरित” गुरु