
पापा चले गये ,बचपन की हसरत चली गयी
रूठने मनाने की आदत चली गई
सैर -सपाटा, मौज- मस्ती, घूमना -फिरना
शौक दरकिनार,सब हसरत चली गयीं
कौन पूछता है ,कहा हो ? देर से क्यों ,घर आओ
बस पापा से डर लगता है वाली बात चली गई
पापा चले गये बचपन की हसरत चली गयी
न गिनती पैसो की थी, न चिंता गैरो की थी
खाली खाली मन मेरे की बरकत चली गई
राखी का अल्हड़पन घर में होली का हुडदंग था
भरे हुये पुरे घर से दिवाली सी रौनक चली गई
पापा चले गये बचपन की हसरत चली गयी
घर के कुछ चिन्हित कोने अख़बार की सिलवट
पदचाप आहट पापा की,चाय की भी महक चली गई
क्या मिला ? क्या चाहिये था ? आज अभी बस
टुटा टुटा मन मेरे की सब जिदें चली गई
पापा चले गये बचपन की हसरत चली गयी
ऐ पापा को पता चलेगा ,तो क्या होगा
पापा को अभी मत बताना,बाद में देखेंगे
पापा को बोलूं क्या ,कौन पापा के डर पड़े है ?
जैसे बेमानी शब्दों को याद करने की फितरत चली गई
पापा चले गये बचपन की हसरत चली गयी
घर गलियां सड़के शहर में घर आते-आते
पापा को देख लो ,साथ चले रूकने की आदत चली गई
पग पग पर समझाइश देते बातों में बात पूछते
आँखों से कितना कुछ कहते ,भाव समझने की आदत चली गई
पापा चले गये बचपन की हसरत चली गयी
घड़ी की सुइयों से चलता जीवन खाना जीना रोज का
चलते फिरते तन को लेकर पर संचरित जोश नही
उम्मिद आस सब स्थिर है,पर हिम्मत चली गई
अल्हडपन शोखी चेहरे की हसरत चली गई
पापा चले गये बचपन की हसरत चली गयी
रूठने मनाने की आदत चली गई…………..
श्रीमती ज्योति त्रिवेदी
पता :- यशवंत नगर ,सागर रोड रायसेन (मध्य प्रदेश ) पिन – 464551
ईमेल & jyoti.rsn7358@gmail.com
मोबाइल & 9826757860,7879601515
बहुत ही शानदार कविता…
zindki ke sabhi palo me pita ki yaad. wahh bahut sundar
kamal kirachna
बहुत ही शानदार कविता ……
Nice lines 👌 👏
Wonderful poem 💖
Wonderful lines 👌
Nice👌 👍 😍
Best 👌 👍 lines 👌
Bahut hi sandar
Awesome 👌 👏
Awesome 👌
Nice poem
Nice
Mashaallah bahut khub
Bahut hi sundar
Nice