
परिवार की हिम्मत और आस है पिता |
बाहर से सख्त और अंदर से नरम होता है पिता, संघर्ष की आंधियों में हौसलों की दीवार है पिता,
सबको बराबर का हक बेटी हो या बेटा देता है पिता
, मां और पत्नी में भी बराबर बैलेंस बनाकर रखता है पिता,
परेशानियों से लड़ने के लिए सबसे आगे सब की ढाल बनता है ,
तथा बच्चों के सपने पूरे करने में अपनी जी जान लगा देता है पिता,
पर कभी बच्चों के सामने खुद को कमजोर नहीं दिखाता वह पिता |
अगर सपने पूरे ना हुए हो तो पिता के!!
तब भी वह कभी बच्चों पर दबाव नहीं बनाता कि मेरे सपने मेरे बच्चे पूरा करें,
बच्चों को पढ़ा लिखा अच्छे संस्कार सिखा,
उन्हें उनको अपने पैरों पर खड़ा कर उन्हें उनकी उड़ान भरने के लिए छोड़ देता है।
कहता है बच्चों हमारी चिंता न करो इतने प्यारे होते हैं पिता,
बच्चों का भी फर्ज बनता है जिसने अपने अपने सपने छोड़़, सिखाया उन्हें कभी ना छोड़े, और उनको अपने साथ रखें हमेशा हमारे रखवाले होते हैं। कोई भी आंच नहीं आने देते बच्चों पर खुद सामने खड़े हो जाते हैं ढाल बनकर !!
बचपन में बच्चों के लिए घोड़ा बन जाते हैं,
नींद आए तो अपने पेट के ऊपर लेते हैं
जिसके पास पिता जैसी जागीर है।
समझो वह सबसे अमीर है।
कहने को तो सब ऊपर वाला देता है
पर ईश्वर का एक रूप पिता ही है।
कभी धरती कभी आसमान है पिता,
पैरों पर खड़ा होना सिखाता है पिता,
कभी हंसी तो कभी अनुशासन है पिता,
पर कभी कभी तन्हा अकेला है पिता।
माॅं तो कह देती है अपने दिल की बात।
सब कुछ समेटते आसमां सा फैला है पिता।
स्वरचित –लेखिका कविता मोटवानी बिलासपुर छत्तीसगढ़
Beautifully expressed your thoughts….Great going mom, 💖