
पिता शब्द सुनते ही सबको अपने पिता की याद आती है| एक पिता की प्यारी और लाडली बेटी अपने पिता का वर्णन कर रही है जो उसके लिए पिता शब्द का पर्यायवाची है….
गोदावरी नदी के सुगंध में
लहलहाते खेतों की सौंधी खुशबू में
ताड़ और नारियल के पेड़, कच्चे रास्ते
तालाबों में कमल और कुमुदिनी स्वागत करते उस धरती की ओर
जिस धरती पर आया एक तारा
मेरे पिता हैं वो तारा
पश्चिम गोदावरी के मल्लवरम के तालाबों में खूब खेलते
नंगे पांव विद्यालय जाते, खूब मस्ती करते,
माँ बाप के लाडले विचरते
अपने दादा, छोटे दादा के गोद में बैठकर
अपने पुरखों के किस्से सुनते आनंद उर में भरकर
हैदराबाद में कर्मरत होते हुए घर बसाया
सुंदर सुशील सीता को अपनाया
भारत माँ की सेवा में
अपने लोगों की शुश्रूषा में
डूब गए भाग्यनगर की प्रकृति में
माँ दुर्गा से मिन्नते मांगते मांगते
लंबे समय उसके चरणों को पूजते पूजते
माँ की करुणा से हुई लक्ष्मी जैसी बेटी
और गंगा, यमुना, सरस्वती जैसी हुई और तीन बेटियां
पिता बड़े ही प्यार से संतान को धरती पर लाए
अपना सुख त्याग कर, संतान को अपार सुख देकर
दिन रात मेहनत करते, संतान की आवश्यकताएं पूरा करते
बच्चे के डगमगाते कदमों को सहारा देते
डगमगाते कदम स्थिर होने पर गुरु को सौंपते
अपनी निगाहें टिकाए रखते, सन्तान पर गुरु की कृपा पड़े और उसमें ज्ञान का दीपक जले
सन्तान के सुख में वह भी सुखी होते
उसके दुख में वह भी दुखी
अपने तजुर्बे को बांटते, संतान के सपनों को साकार करते
जग से परिचय कराते,
जग में जीना सीखते,
गिर कर भी उठना सीखते
सयानी लड़कियों का विवाह किया
पिता नूतन विवाह के रिश्तों को समझने और मजबूत करने में मदद करता
पोते पोतियों का देखभाल करना सिखाता
जीवन भर एक दोस्त, रक्षक, शुभचिंतक बन
अपने बच्चों की जिंदगी रोमांच बनाता
बचपन में नानी से उनके किस्से सुनते रहे,
आज भी हृदय में वो किस्से स्मरण आते रहे,
कितने अच्छे हमारे पिता,
कितने अच्छे मेरे पिता।
- ए एस एल एन वी चंद्रकला
एम. ए हिंदी की छात्रा
आंध्र विश्वविद्यालय।
एड्रेस( घर): ६-१३-२४, वरलक्ष्मी एबोड, फर्स्ट फ्लोर, एफ एफ१, ईस्ट प्वाइंट कॉलोनी, धोबी स्ट्रीट,
चिना वॉल्टर, विशाखापटनम, आंध्र प्रदेश – ४३००१७.