“जब से दुनिया सयानी हो गई बुजुर्गो की बाते पुरानी हो गई,
माता पिता के चरणों में स्वर्ग होता है ये एक भूली कहानी हो गई |
परिवार में जब से सबकी अपनी अलग अलग ज़िंदगानी हो गई,
तब से घर की एकता दिन बा दिन बिखरती हुई ईमारत हो गई !
बच्चो की मासूमियत कही खोती जा रही है जब से इंटरनेट बच्चो की ज़िन्दगी की रोज मरा कहानी हो गई,
क्या फ़ायदा ऐसे रिश्ते होने का जब पैसे के आगे, रिश्तो का प्यार अपनापन कमजोर होता जा रहा है !
रिश्ते रब ने बड़े प्यार से बनाए हैं रिश्तो को प्यार अपनेपन से निभाईए !
लेखिका पूर्णिमा राय रामनगर उत्तराखंड
Waah waah umda👌👌✍️✍️