पूर्णिका-“भीम सिंह नेगी”

मन का हारा हार गया ।
शक में सारा प्यार गया ।।

जिस पर था विश्वास हमें ।
धोखे से वह ही मार गया ।।

गैरों ने कभी कुछ नहीं छीना ।
अपना सबकुछ डकार गया ।।

जिसने हिम्मत से काम लिया ।
तैर दरिया वह ही पार गया ।।

टूट जाता है हर रिश्ता वहाँ।
जहाँ किसी का एतवार गया।।

भीम आँखें हैं तो दुनिया है ।
अगर आँखें गई संसार गया।।

भीम सिंह नेगी, गाँव देहरा हटवाड़, जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश।

पूर्णत: स्वरचित एवं अप्रकाशित रचना।

1 Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *