पूर्णिका-“भीम सिंह नेगी”

पानी सिर के ऊपर आज बह रहा है ।
कितने गम दीवाना आज सह रहा है ।

जिंदगी भर की मेहनत से था जिसे बनाया ।
आंखों के आगे आज वह ढह रहा है ।।

जिसका घर था कभी आलीशान यहाँ ।
फुटपाथ पर आज वह रह रहा है ।।

जिस पर उंगली उठा नहीं सकता था कोई ।
उसके बारे जमाना बहुत कुछ कह रहा है ।।

भीम पता नहीं वक्त हमें किस मोड़ पर ।
ठोकरों में ला दे तजुर्बा यह रहा है

भीम सिंह नेगी, गांव देहरा हटवाड़, जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश ।

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