प्यार एक जुनून है , मेरी ज़िंदगी का प्यार ही कायदा है, प्यार ही क़ानून है-“निरेन कुमार सचदेवा”

मेरा दिल धड़क रहा है किसी और के सीने में, लेकिन फिर भी बहुत मज़ा आ रहा है मुझे जीने में——-क्या ऐसा मुमकिन है ?
मुझे जीने की है जुस्तजू , क्योंकि एक ना एक दिन उसके दीदार की है आरज़ू——जी हाँ, ऐसा मुमकिन है।
किसी की आँख से बह रहे हैं आँसू, और मेरी पलकें गीली हैं———किसी के होंठों पर है हँसी, और मेरी ज़िंदगी नशीली है, क्या ऐसा मुमकिन है ?
उसकी नींदों में मेरे ख़्वाब हैं——बिना सवाल पूछे , आ रहे जवाब हैं, जी हाँ, ऐसा मुमकिन है ।
उसके माथे पे शिकन है, और मेरे चेहरे पर थकान है———उसके लब कुछ रहें हैं गुनगुना, और मैंने वो गीत है सुन लिया, क्या ऐसा मुमकिन है?
फ़िज़ाओं में चंदन की है महक, पंछी आज कुछ ज़्यादा ही रहें है चहक़———क्या वो आस पास है, इसीलिए तेज़ चल रही मेरी साँस है, जी हाँ , ऐसा मुमकिन है।
देख महज़ उसकी तस्वीर, मेरा हाल बेहाल है———मेरे दिल ओ दिमाग़ में चौबीसों घंटे उसका ख़याल है, क्या ऐसा मुमकिन है?
देखता हूँ उसकी तस्वीर तो तन्हाई में भी बजने लगती है शहनाई, देख मेरे चेहरे की गुलाबी रंगत——-लोग सोचते है कि मेरी हो गई है सगाई और मुझे देने लगते हैं बधाई, जी हाँ ऐसा मुमकिन है।
मेरे मेहेरबानो, इश्क़ ओ मोहब्बत के अफ़साने लिखते हैं हमेशा चंद दीवाने———-इसीलिए तो इश्क़ ओ मोहब्बत की हर कहानी, होती है हमेशा रूहानी, सच्ची प्रीत है तो सब कुछ है मुमकिन, बस एक पल भी अब मैं नहीं जी सकता उसके बिन———-!!!
लेखक——-निरेन कुमार सचदेवा
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