
दुनिया में सबको प्यार चाहिए,
और अधिकार भी चाहिए।
तिरस्कार कर तो दोगे किसी का,
लेकिन एक मलाल रह जायेगा।
क्योंकि प्यार ही पूजा है,
बदले में प्यार ही परिणाम है।
पोथी खाली पढ़ने से नहीं होगा,
जब तक प्यार को न समझ लें।
सभी भूखे हैं यहां प्यार का,
प्यार जी भरकर बांटें।
फिर प्यार के सुरभित फूल,
संसार को सुशोभित करता रहेगा।
सारे प्राणियों को प्यार चाहिए,
सभी जीव प्यार की भाषा समझते हैं।
प्यार से हर डगर आसान हो,
मंजिल तक पहुंचा देती है।
प्यार दीजिए तो प्यार लीजिए,
सदा ही चहकते रहिए।
और अनमोल इस जीवन के,
उद्देश्य को पूर्ण करिए।
प्रकृति की गोद में आराम पाइए,
प्यार से ही एक सुंदर आयाम पाइए।
और दूजों को भी प्रेरित कीजिए,
समाज में फैली कुरीति को दूर कीजिए।
मानव जन्म को यादगार विरासत बना दीजिए,
इस विरासत को अनुजों के लिए छोड़ जाइए।
ऐसी जीवनी जहां ज्ञान का बोलबाला हो,
बुरे वक्तों के लिए दिव्य उजाला हो।
संघर्षों के दो पाट हो,
दोनों पाट एकदूजे के पूरक हो। मानवों के कल्याणार्थ हो, प्रगति की मशाल हो। (स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार