प्रेम अमर होना चाहिए-“निरेन कुमार सचदेवा”

जब दो दिल मिलते हैं, तो बजतीं हैं शहनाइयाँ, जब दो दिल बिछड़ते हैं, तो मिलतीं हैं तन्हाइयाँ।
जब दो दिल होते हैं एक , तो ख़ुशियाँ होतीं हैं अनेक।
जब दो दिल अलग होते हैं , तो मायूसी के आगे पड़ते घुटने हैं टेक।
जब दो दिलों का होता हैं मिलन तो ख़ुशनुमा हो जाता है जीवन।
जब दो दिलों में हो जाता है अलगाव, तो कहाँ छिप जाता है लगाव?
जब होती है शादी , तो होता है बड़ा उत्सव।
जब होता है तलाक़ , तो क्यों भूल जाता है इंसान शादी का महत्व?
जब होता है सच्चा प्रेम, तो जज़्बात और अहसास मचाते हैं शोर।
जब दो प्रेमी जुदा होते हैं, तो अचानक से क्यूँ टूट जाती है प्रीत की डोर?
जब दो दिल एक दूसरे में जाते हैं समा, तो अजब हो जाती है जीने की अदा।
जब दो दिल होते हैं जुदा, तो चौबीसों घंटे सुनाई देती है बेबसी की सदा।
कुछ ऐसा ही है जीवन का चक्रव्यूह, लेकिन ऐसा होता है आख़िर क्यूँ?
प्रेम के दीवाने पल भर में क्यूँ बन जाते हैं अनजाने?
वो जीवन भर साथ निभाने की क़समें, वो वादे, एक ही क्षण में कैसे ख़ाक हो जाते हैं सब इरादे ।
मेरे मालिक, तू तो है जानीजान, आख़िर क्यों ऐसा हो गया है इंसान?
या ख़ुदा, तू चला एक ऐसी छड़ी, कि कभी भी ना आए किसी के जीवन में ऐसी नामुराद घड़ी।
दो प्रेमी दिलों के अलग होने की कभी भी ना आए नौबत——सदियों सदियों तक क़ायम रहे उनकी प्रीत , उनकी
मोहब्बत———!
लेखक—-निरेन कुमार सचदेवा
Love ❤️ is a chaste and a pure emotion, please 🙏 let it be like that only !!!

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