मनमीत-“रजनी प्रभा”

अवनी को आकाश रंगे, अनल गले मिले शीत
जादू हो इस फाग में,सबको मिल जाए मनमीत।

अधरों को मुस्कान मिले, नैनों को मिले अविराम
तन गुलाल से खिल जाए,मन रंग जाए प्रीत।

सासों में सरगम बजते हो, उड़े उन्मुक्त पुरवा बयार
तुम नेह निभाना प्रिय, तज के जग की रीत।

स्वाति में ज्यों शिप समाएं,हो मन में तुम्हारी छाप
विरह में व्याकुल कोरे नैना, गाए मिलन के गीत।

है दुल्हन बनी सारी ही दुनियां,मादकता छाई चहुं ओर
सांसों को रंग गई तेरी खुशबू,हो गई मेरी जीत।

रजनी प्रभा

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