
किसी ने लिखा , ज़रूरत, शोहरत, विश्वास और रिश्ते , सभी एक काग़ज़ के ग़ुलाम हैं, जिसे हम पैसा कहते हैं , मैंने कुछ और पंक्तियाँ जोड़ी हैं ———————
विडम्बना ये है कि आजकल के modern world के तक़रीबन सभी इंसान ऐसा कहते हैं !
हूँ तो मैं भी एक तुच्छ , मामूली सा साधारण इंसान, लेकिन थोड़ा बहुत फ़र्क़ है मेरा सोचने का ढंग ।
काफ़ी हद तक हैरान हूँ देख ये modern world के अजीब ओ ग़रीब रंग !
ऐसा नहीं है कि मैं नहीं हूँ पैसा कमाने की भाग दौड़ में , लेकिन औरों की अपेक्षा कुछ कम हूँ इस की होड़ में ।
शुक्र है तेरा मालिक , कुछ चीज़ों को रखा है तूने पैसे की गिरफ़्त से आज़ाद, कई अहसासों में सुनाई देतीं हैं बिना पैसा ख़र्चे भी मधुर आहटें , और फिर छा जातीं हैं चेहरों पर मुस्कुराहटे ।
यक़ीनन पाक पवित्र रिश्ते तो नहीं हैं पैसे के ग़ुलाम , और जो लोग इस बात पर मेरे साथ इत्तेफ़ाक रखते हैं, उन्हें करता हूँ मैं सलाम ।
पैसा अहसासे प्यार को नहीं ख़रीद सकता, सिर्फ़ हवस ख़रीद सकता है, सच्चा प्यार पैसे की जगमगाहट पर नहीं है निर्भर , इसकी है अपनी एक अलग डगर ।
वो रिश्ते जो पैसे की बुनियाद पर टिके हैं , उन रिश्तों में नहीं है जागरूक क़रीबियाँ , बस हैं बदनसीबियाँ !
महलों में तो सिर्फ़ music system बजते हैं , लेकिन झोंपड़ियों और टूटे फूटे मकानों में माँ सुनातीं हैं बच्चों को लोरियाँ , जिन्हें सुन दिलों में होती है बारिकियाँ और नज़दीकियाँ।
दोस्तो अगर मेरी सोच ग़लत है तो मुझे सही मार्ग दिखाना , मेरे विचार में विश्वास नहीं है पैसे के आधीन ।
अगर कोई शकस सिर्फ़ पैसे की ख़ातिर रब पर विश्वास करता है तो ये है एक जुर्म संगीन !
पैसा शोहरत दिला सकता है , लेकिन चोर , बदमाश लोग भी तो होते हैं मशहूर, हालाँकि वो करते हैं पाप और ज़ुल्म भरपूर !
शोहरत और इज़्ज़त में फ़र्क़ है ज़मीन आसमान का , ख़रीदी नहीं सकती इज़्ज़त ,इज़्ज़त पाने के लिए चाहिए भक्ति और शक्ति ।
जिस्मानी ज़रूरतें पूरी कर सकता है पैसा लेकिन रुहानी नहीं , ये ज़िंदगी के कुछ पन्ने लिख सकता है लेकिन पूरी कहानी नहीं !
निस्सन्देह , इस पैसे रूपी काग़ज़ का नहीं है कोई तोड़ , ये जिस तरफ़ चाहे उस तरफ़ जिंदगानियों का रूख सकता है मोड़ ।
लेकिन इस काग़ज़ ने पूरा ज़ोर लगा कर देख लिया, लेकिन अदब ,तहज़ीब , ऐहतराम और नेकनामी ख़रीदेने में ये अभी तक नहीं हो पाया सफल , बहुत पैंतरे अपनाए इसने लेकिन अभी तक रहा विफल ।
है पैसे की अहमियत , लेकिन मासूमियत की नहीं होती है कोई क़ीमत !
अपनापन आज भी बिकाऊ नहीं है , आज भी आप नहीं ख़रीद सकते चाहत ।
पैसा ऐश ओ आराम साथ लाता है , लेकिन साथ लाता है परेशानियाँ भी ।
मुकम्मल ज़िंदगी जीने के लिए सिर्फ़ पैसा ही काफ़ी नहीं , चाहिए मौला की निगेहबानियाँ भी !
मैं इस कथन से , कि ख़ुशनुमा ज़िंदगी जीने के लिए सिर्फ़ पैसा काफ़ी है , इस बात से नहीं हूँ सहमत, एक भरपूर ख़ुशहाल ज़िंदगी जीने के लिए उस ऊपर वाले की रहमत !
आख़िर मैं एक अहम बात कहूँगा , उस भगवान ने बनाया है ये पैसा जो एक साधन है , एक सादा सरल जीवन बिताने के लिए, बस इतना है इसका महत्व।
इसे इतना ही ना पूजो कि उस विधाता से भी ज़्यादा बन जाए इसका अस्तित्व !!
निरेन सचदेवा