मेरे ज़िन्दगी की कहानी , चंद लफ़्ज़ों में

कौन कहता है ख़ूबसूरती उम्र की मोहताज है…
आशिक़ों और रसिकों के सर पर तमाम उम्र चमकता रहता ख़ूबसूरती का ताज है !
हमने पुराने पन्नों पर आज भी हैं लिखे और देखे नए अफ़साने हैं…
आशिक़ और रसिक लोग कभी भी नहीं भुला पाते , वो जो गुज़रे ज़माने हैं!
हम से पूछो, उनके दीदार के लिए हज़ारों बार बनाये हमने बीमार होने के बहाने हैं!
और सच पूछो तो ठीक होती ही नहीं ये “बीमारी”।
जी हाँ, ठीक सोचा आपने, इस ख़ौफ़नाक बीमारी का नाम है “इश्क़ की खुमारी”!
ये बीमारी है जान लेवा, एक बार लग गई तो तमाम उम्र करनी पड़ती है तीमारदारी।
मुझे ये कहने में नहीं है कोई शर्म, मैं आज भी अपनी बीवी के रोज़ पाँव दबाता हूँ।
उसके होंठों पर मुस्कुराहट आ जाये, इसीलिए अक्सर “joker” बन जाता हूँ।
बर्तन बखूबी धोता हूँ, जब वो सो जाये उसके बाद ही मैं सोता हूँ!
अच्छा नहीं हूँ बावर्ची , तो ख़ाना बनाने से मिल गई है छुट्टी।
लेकिन हाल ये है कि बहुत बार जेब करनी पड़ती है ढीली।
महीने में पंद्रह दिन, ख़ाना बाहर से आता है, क्यूँकि टपक पड़ती है कोई ना कोई उसकी सहेली।
ख़ैर दिल फेंक तो हूँ ही, थोड़ा फिर मेरा भी हो जाता है मनोरंजन।
कुछ इसी तरह थोड़ी नादानी , थोड़ी शैतानी , थोड़ी मनमानी कर ख़ुशनुमा कट रहा है जीवन।
मन की बात कहूँ, बहुत बार लड़ाई करती है मुझ से मेरी साथिन।
लेकिन मैं भी मुँह तोड़ जवाब देता हूँ, मैं भी नाग हूँ, अगर वो है नागिन!
यही है मेरे जीवन का अनुभव——-लेकिन शत प्रतिशत यही सच है कि मेरी बीवी के कारण ही, आज भी है मेरा अस्तित्व !!!!
मेरी बीवी के कारण ही निखरा है मेरा व्यक्तित्व ।
लेखक निरेन कुमार सचदेवा ।
This is my life’s entire story in a few lines , I am sure in everyone”s life there are ups and downs .

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