या ख़ुदा, मोहब्बत सब की परवान चढ़े-“निरेन कुमार सचदेवा”

हमें क़बूल नहीं तुम्हारा, किसी और से रिश्ता——-मेरे लिये तुम हो एक देवता , एक फ़रिश्ता—-!
नफ़रत भी करो , तो हम से करो, अदावत भी करो तो हम से करो ।
चाहे करो नफ़रत या अदावत , तुम्हें आएगी हमारी याद।
तुम्हें हमारी याद आती रहे, उस ख़ुदा से करते हैं हम यही फ़रियाद।
नफ़रत कोई ग़ैरों से नहीं करता, नफ़रत करने का कोई तो होगा सबब।
कभी तो हम से मोहब्बत की होगी, हाँ, नहीं करते तुम हमें मोहब्बत अब।
कर लो कोशिश, एक ना एक दिन तुम्हारी रंजिश भी बन जाएगी एक कशिश, एक ख़लिश।
बढ़े बूढ़ों ने कहा है कि इश्क़े मोहब्बत में छिपी होती है एक बंदिश।
एक ना एक दिन तुम्हें होगा पछतावा, ये है हमारा दावा।
हम करेंगे उस दिन का इंतज़ार, क्योंकि हमें अपनी वफ़ा पर है ऐतबार।
थी छोटी मोटी उलझनें, पर तुम्हारे दिल ओ दिमाग़ पर तो छा गया था अहंकार।
ख़ैर , हमने तो फिर भी तुम्हें किया माफ़, हम अब भी करते हैं तुम से सच्चा प्यार।
अहम और वहम, ये अहसास ज़िंदगानियों को कर देते हैं बर्बाद।
इन एहसासों को अपने से दूर रखो, तभी तुम्हारी ज़िंदगी रहेगी आबाद।
हमने तुम से की है असीम प्रीत, और जीत ही है प्रीत की रीत।
देते है तुम्हें चुनौती, रहना सावधान——-ना चाहने पर भी हमारी यादें तुम्हें करेंगी परेशान——!
अभी भी वक़्त है, छोड़ दो ज़िद, तुमने तो कर दी है हद।
ये कैसे भूल गए तुम, तुम्हें पाने के लिए हमने पार की थी
सरहद——!
हमने तो कर लिया है ये फैंसला, कि तुम्हारी नफ़रत को भी गले लगा कर जी लेंगे।
उम्मीद अभी भी क़ायम है, लेकिन तुम ना मिले तो बाक़ी ज़िंदगी गम के घूँट पी लेंगे——!
लेखक——निरेन कुमार सचदेवा
I pray 🙏 to Almighty, may all true love 🧡 stories have a favourable ending.

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