वो शब्द फीके हो गए-“अभिषेक मिश्रा”

वो शब्द फीके हो गए जो गीत अधूरे यादों में..
बीती बातें हो गई यारों क्या रखा उन बातों में..

न भाव मिले न अलंकार,चंचल मन चितवन करे पुकार,
बिसरा हुआ व्याकरण आज, न कलम है चलने को तैयार,
झूठी मुस्काने हैं सबकी न प्रेम दिखे जज्बातों में…
बीती बातें हो गई यारों क्या रखा उन बातों में…

कोई रस न रसना जान सके, न छंद कोई पहचान सके,
वो लौट के अब न आएगा,जिसको तुम अपना मान सके,
बस धुंधली तस्वीर देखेगी न नींद आयेगी रातों में…
बीती बातें हो गई यारों क्या रखा उन बातों में ….

उसको लिखने जो बैठूं तो कुछ चित्र दिखाई पड़ते हैं,
रिश्ते नाते कुछ भले बुरे कुछ मित्र दिखाई पड़ते हैं,
न पूर्ण विराम न अल्प विराम बस जान अटकती सांसों में…
बीती बातें हो गई यारों क्या रखा उन बातों में …. स्वरचित
अभिषेक मिश्रा, बहराइच

1 Comment

  1. Ritu jha

    👌👌👌👌👌✍️✍️

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *