संत महिमा-“डॉ सुमन मेहरोत्रा”

संत महिमा का होता है सर्वत्र गुणगान।
संत चरण जहां पड़े धरा पर स्वर्ग समान ।

संत निरभिमानी, निरहंकारी होते।
निस्वार्थ जीव मात्र पर करें उपकार।
करें भलाई, सुख-दुख में सम भाव।
विकार रहित,हरि स्मरण करने वाले।

संत हृदय होता है अति पावन,
जैसे गंगा का बहता निर्मल नीर।
संत परोपकारी फलदायक वृक्ष,
पत्थर खाकर भी फल ही देते हैं।

भौतिक सुख- सुविधा पाने की,
नहीं हृदय में उनके मनोकामना।
प्रभु सिमरन , परमात्मा का चिंतन ।
अपने मन को एकब्रह्म से जोड़ लेते।

सबसे सुंदर होते धरा पर संत व्यवहार।
संत संगति से जन के बदलते विकार।
संत हमारी सभ्यता संस्कृति के रक्षक ।
संतों का जहां होता सत्कार, प्रभु निवास।

कठिन साधना तप करके संत पाते ज्ञान।
सेवा से खुश होकर,जग को करते दान।

स्वरचित
डॉ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर ,बिहार

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