सन्नाटों में भी ही आहटें , ये दिल की धड़कनें मानती ही नहीं , बार बार शोर मचा कर लेती रहती हैं उसका नाम ।
इश्क़ और मोहब्बत की राह में हैं रुकावटें , दिल की धड़कनें ये जानती है , लेकिन फिर भी मानती नहीं ,पुकारती रहती हैं उसका नाम !
यक़ीनन , ये प्यार तो है पाक और पवित्र, है सच्चा प्यार क्यूँकि उसकी याद आते ही हर जगह हो जाती हैं सजावटें !
लेकिन क्या वो भी मुझे इतना ही चाहती है , कहीं उसके प्यार में तो नहीं हैं मिलावटें और बनावटें ?
हम तो उन परवानों की तरह जो मँडराते ही रहेंगे , शम्मा जले या ना जले , उम्मीद करते हैं कि किसी दिन , लग जाएगी वो हमारे गले !
बहुत लोग मुझ से ये सवाल करते हैं कि मैं क्यूँ लिखता रहता हूँ शेर ओ शायरी रोज़ रोज़ फ़िज़ूल , लेकिन क्या करूँ , शायराना ख़ून दौड़ रहा है रगों में , रोज़ लिखना अब बन गया है मेरा उसूल ।
और आपके पास भी कोई choice नहीं है , आपको भी मेरे कलाम को रोज़ रोज़ करना ही पड़ेगा क़ुबूल !
कुछ लोग त ये भी कहते हैं कि मैं हूँ थोड़ा सा पागल , लेकिन आप लोग वाह वाही करते हैं , इसीलिए शेर ओ शायरी लिखने का मैं हो गया हूँ क़ायल !
हूँ तो मैं शायर टूटा फूटा सा लेकिन आपकी तारीफ़ मुझे देती है बहुत ख़ुशी और होंठों पर आ जाती है हँसी !!
यारो , झूठी ही सही लेकिन तारीफ़ करते रहना , बस इतना है मुझे कहना ।
बेहतर है कि ज़िंदगी के इस कारवाँ में हम सब चलें साथ , लेकर हाथों में हाथ ।
काग़ज़ और कलम , और पक्की स्याही , इन में है एक अजीब ओ ग़रीब ताक़त, इसीलिए तो शेर ओ शायरी पढ़ना बन जाती है सब की आदत और चाहत !!
नीरेन सचदेवा,बंगलोर,