हम सनातनी अनुपातक हैं-“बृजेश आनन्द राय, जौनपुर”

हम सनातनी अनुपालक हैं, राम सिया गुण गाएंँगे।
राम-कथा को कहते-सुनते, निर्मल-मन हो जाएंँगे।।

रामकथा सुखदाई जिसमें, मानस मोती चुनता है
रामकथा वह गीता जिसमें, भव का बन्धन खोता है
रामकथा वह नाता जिसमें,
जीवन समरस होता है
रामकथा वह अनहद जिसमें,
ज्ञान का सागर बहता है
रामकथा सुख-ब्रह्म-नाद है, युग-युग गूँज सुनाएंँगे।
राम-कथा को कहते-सुनते, निर्मल-मन हो जाएँगे।।

रामकथा है त्याग-तपोबल, रामकथा ब्रह्मचर्य है
रामकथा सत की उपासना, राम कथा परम्पर्य है
रामकथा से जीवन-ज्योतित, शिवम-शक्ति, अति-संकल्पित
रामकथा शक्तिम-आराधित, मान-विसर्जन, गुण-अर्जित
रामकथा इक वर्य-कथा है, जीवन श्रेष्ठ बनाएँगे।
राम कथा को कहते-सुनते, निर्मल-मन हो जाएंँगे।‌।

रामकथा उर-पीड़ा जिसमें, एक-निष्ठ बस सीता हैं
रामकथा अंतस से उठतीं, मानस की उद्गीता है
रामकथा इक तुमुल नाद है, विजय धर्म-संस्थापन है
रामकथा धन्वा-टंकृत है, यज्ञ-मन्त्र उच्चारण है
रामकथा को अपनाकर के, जीवन-गौरव पाएँगे
रामकथा को कहते-सुनते, निर्मल-मन हो जाएंँगे।।

रामकथा कुल की परिभाषा, रामकथा हर-सुख आशा
रामकथा है निश्छल जीवन, विछड़-मिलन की प्रत्याशा
रामकथा सम्पूर्ण कहानी, शमन-शान्तिमय सुख-कारी
हर विपदा को हरने-वाली, सब कष्टों पर ये भारी।
रामकथा की याद सजोएँ, घर-घर दीप जलाएँगे।
रामकथा को कहते-सुनते निर्मल-मन हो जाएंँगे।।
………………………………………………🖍️ बृजेश आनन्द राय, जौनपुर।

1 Comment

  1. Brijesh Anand rai

    प्रकाशित करने के लिए धन्यवाद!

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