हिन्दी भाषा हमारी जान है-“अमन रंगेला”

हिन्दी मे मेरे देश की जान है धड़कन है हिन्दी।
हिन्दी कभी न छोड़ना वतन की शान है हिन्दी ।
हिन्दी मे करो बात ये है प्रेम की भाषा हिन्दी।
भाषा की परिभाषा मे हिन्दी छुपी वो भाषा है हिन्दी।
जब न दे कोई साथ तो ये एक किरण की आशा है हिन्दी।
हमारे देश का गौरव यही बढ़ती है हिन्दी।
हमारे देश की संस्कृति, सभ्यता को बचाती है हिन्दी।
विदेशी ज्ञान भाषा से भले ही दूर यही सिखाती है हिन्दी।
अपनो की धड़कन मे बस्ती है यही हिन्दी।
आवाज है नदियो के कल कल जैसी है हिन्दी।
उड़न है इसकी पक्षीयों जैसी छुना पाए ऐसी है हिन्दी।
इसकी मानो हो पर्वत की चोटी ये ऐसी है हिन्दी।
अपनेपन मे है आंगन की तुलसी जैसी दूर भले ही है यह हिन्दी।
हमे समर्थ, सम्मान दिलवाये ये है हिन्दी।
सम्मान उसे मिल जाए जो सम्मान दे ऐसी है हिन्दी।
झलकता हैं पुरातान संस्कार यही है हिन्दी।
मानो गीत के पाठो का यह चमत्कार है हिन्दी।
गुरु शिष्य का प्रेम जहां है वहाँ माँ की फ़िक्र मे बसी है हिन्दी।
हिदुस्तान की भाषा भाषा सभी ओढ़े कंचन काया सभी छाया मे बसी है हिन्दी।
दिलो मे बसी है हिन्दी।
हिंदुस्तान की शान है हिन्दी।

हास्य कवि व्यंग्यकार
अमन रंगेला “अमन” सावनेरी
सावनेर नागपुर महारास्ट्र

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