हुआ धर्म का पुनरुद्धार।
आई राम-भक्त सरकार।।
अजब-गजब बल्ले की मार।
गेंद “तीन सौ सत्तर”-पार।।
खिले पुनः घाटी में फूल।
कहीं न पत्थर की बौछार।।
डरा न न्यायालय सर्वोच्च।
देखा ऎसा पहली बार।।
मिला राम-भक्तों को न्याय।
पाया मंदिर का उपहार।।
नहीं घोषणा हैं बस काम।
एक नकद अब सौ न उधार।।
हुआ आॅनलाइन हर काम।
टूटा भ्रष्टतंत्र का तार।।
सौ में सौ पा रहा गरीब।
सीधा खाते में संचार।।
—डाॅ०अनिल गहलौत
Bhaut bhaut badhiya 👌👌✍️✍️