
दिवाली ख़ुशियाँ और रोशनी का त्यौहार है , ख़रीदारी वहाँ से कीजिए जहाँ किसी का बन जाए त्यौहार ।
बड़ी दुकान वालों को फ़र्क़ नहीं पड़ता ,सड़क पर बैठे लोगों से ख़रीदिए , तो उनके चेहरे पर भी आस जाएगी हँसी , आ जाएगा निखार ।
ये भी भगवान की पूजा है , ग़रीब का आशीर्वाद भी बहुत काम आता है , ये ग़रीब लोग , इनको भी मुनाफ़ा होने दो , ये ऊपर
वाले तो भी भाता है ।
और इन लाचारों और मजबूरों से ना करना ज़्यादा मोल भाव , शायद आप के बोले हुए मीठे शब्दों से भर जायें इनके कुछ घाव ।
दिवाली तो सब के लिए है , आप के इस छोटे से क़दम से फैल जाएगी इनके घरों में भी रोशनी ।
कुछ मिठाइयाँ ये भी खा पाएँगे , फोड़ेंगे कुछ पटाके तो आ जाएगी इनके चेहरे पर भी ख़ुशी ।
शुक्र करो उस खुदा का , उसने आप पर की है मेहेरबानी , तो क्यूँ ना हम थोड़ी सी कोशिश कर के बना दें ख़ुशहाल किसी जरूरतमंद की जिंदगानी ।
पैसे का अभाव क्या होता है , ये वोही जान सकता है जिसने मजबूरी और लाचारी का किया हो अहसास ।
ऐसे असहाय लोग भी हैं इस दुनिया , जो अपने किसी क़रीबी के मरने पर कफ़न तक नहीं ख़रीद सकते, इतने पैसे भी नहीं होते उनके पास !
इन ग़रीब लोगों से फुलझड़ियाँ और पटाके ख़रीदोगे तो होगा इनका फ़ायदा ।
ये तो थोड़े में ही ख़ुश हो जाते हैं , छोटी छोटी ख़्वाहिशें हैं इनकी , नहीं माँगते ज़्यादा।
और बाँट कर खाने से जो सुख मिलता है , वो निश्चित आलौकिक है , मैं तो यही मानता हूँ ।
किसी के होंठों पर मुस्कुराहट लाना , इस का लुत्फ़ ही कुछ और है , मैं तो यही जानता हूँ ।
दीपावली के पावन अवसर पर आप सब को मेरी हार्दिक शुभ कामनाएँ , स्वस्थ रहो , पूरी हों आप की सब इच्छाएँ ।
और पूरे संसार के लिए मैं दुआ करता हूँ , हे ईश्वर इस दिवाली , हर घर में हो दीपों की जगमगाहट ।
क्या ऐसा मुमकिन है कि किसी लाचार की तहे दिल से हर कोई मदद करे , या खुदा तू बदल दे और ऐसी नई बना दे सब के दिलों की बनावट ।
यारों दिवाली के इस पर्व पर ख़ूब ख़ुशियाँ बाँटे , मिठाईंया सिर्फ़ खाएँ नहीं , व्यवहार में भी लायें बहुत सारी मिठास और प्यार ।
मौला , इस दिवाली हर घर में हो उजाला , और हर घर में हो इकरार और क़रार ।
लेखक – निरेन कुमार सचदेवा।