गिरा दिया तुमने,इंसान को इंसान की नज़र में
अब क्या ही रह गए तुम,भगवान की नज़र में
हिंदू को दिखाया,हिंदुस्तान, मुसलमां को नहीं
ना राम की उठे हो,ना ही रहमान की नज़र में
भाई को भाई से,तुमने दूर कर दिया है क्यों?
अब क्या ही दिखोगे तुम,अपने ईमान की नज़र में
खुदा की है बनाई,इस दुनिया को तुम संभालो
क्या ही बनेगी तस्वीर तेरी, उस महान की नज़र में
आ गए हैं जो चुनाव तू अब,पैरों में गिर रहा है
एहसान भी है अब शर्मिंदा,एहसान की नज़र में
डॉ विनोद कुमार शकुचंद्र