इश्क़ का कलमा बहुत ध्यान से पढ़ना-“निरेन कुमार सचदेव”

किसी ने लिखा , ये इश्क़ का कलमा है , ज़रा सहम के पढ़ना , ख़्वाबों से खेलना , कहीं आदत ना बन जाए , अब हमारा जवाब भी सुन लो ———————————
चेतावनी दी आपने , हमने उस पर था ग़ौर किया , इश्क़ का कलमा था , पढ़ा धीरे धीरे ,आई लबों पर मुस्कुराहट , पहली बार इश्क़ का कलमा पढ़ रहे थे , इसलिए मन में थी घबराहट !
यक़ीन मानिए , कलमा सहम कर पढ़ा था , क्या बताएँ आपको , हर अल्फ़ाज़ में थी मस्ती , पढ़ते ही दूर हो गयी सारी सुस्ती , ख़ुशहाल , ख़ुशनुमा हो गयी थी अब हमारी हस्ती !
अहसासे इश्क़ का हर हरफ , हर शब्द रुहानी था , हर अल्फ़ाज़ से इश्के मोहब्बत का नशीला रस रहा था बरस , अब उनको मिलने के लिए हम रहें हैं तरस !
जज़्बाते इश्क़ ओ मोहब्बत के कलमे में ,है क्या जादुई करिश्मा , यक़ीन मानिए , ऐसा कलमा हमने पहली बार पढ़ा था , और अब उन्हें रूबरू देखने के लिए दिल ज़िद पे अड़ा था ।
आपने सचेत किया था , लेकिन ना चाहने पर भी ये नामुराद आदत पड़ गयी , ख़्वाबों से खेलने की , सच पूछो तो मुसीबतें झेलने की !
है बेजारी , बेक़रारी , है अवाजारी , सर चढ़ कर शोर मचा रही है अब इश्क़ की ख़ुमारी !
आफ़त था ये इश्क़ का कलमा , अब दर्द ही दर्द है , मदद माँगे तो किस से माँगे , पता नहीं कि कौन दुश्मन है और कौन हमदर्द है ?
या खुदा अब तेरा ही सहारा है , इश्क़ की ये जो आग है , अह काश कि उनके दिल में भी लगी हो , हसरत है ये हमारी कि उनसे मुलाक़ात अभी हो !
बड़े बूढ़ों ने ठीक ही कहा है , ये इश्क़ है एक लाइलाज बीमारी , हमने तो अब इस अहसासे इश्क़ के दर्द के साथ जीने के कर ली है तैय्यारी !
सिर्फ़ एक कलमा पढ़ा था , और हाले बेहाल है , अब तो इश्क़ में ही जीने मरने का शुरू हो गया सवाल है !!
लेखक——-निरेन कुमार सचदेव
Well, this is labeled “Fatal attraction “, and that too at the first sight !!

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