उनके रूबाब ने हमें शायर बना दिया-“निरेन कुमार सचदेवा”

हम तो तुम्हें लिख देते हैं, और ख़ुद बख़ुद बन जाती है शायरी।
ऊल जुलूल तो हम बहुत सालों से लिख रहे थे, हम मानते थे कि लिख रहें हैं शायरी।
लेकिन तुम्हें मिलने के बाद , अचानक शायरी लिखने के अन्दाज़ में आ गई है माहिरी।
पढ़ने वाले भी हैं हैरान——पूछते हैं कि आख़िर किसे ढाल रहे हो अल्फ़ाज़ों में?
कहते हैं बाशिंदे कि अब इश्क़ की ख़ुशबू आती है तुम्हारे अहसासों से।
करते हैं जब भी तुम्हारे हुस्न की बात, आशिक़ों के मचलने लगते हैं जज़्बात।
जब से किया है तुम्हारी झील सी गहरी आँखों का चर्चा, हर आशिक़ के दिल को लगा है झटका।
तुम्हारी ज़ुल्फ़ों की जो हमने की तारीफ़, तो कुदरत ने भी बदल दिया अपना रूप।
काली घनघोर घटाएँ बरसने लगें, हालाँकि कुछ देर पहले ही थी कड़कती धूप।
हरफ़ों की शक्ल में जब तुम्हारी नज़ाकत का किया बयान, तो बेचैन हो उठे कई आशिक़ नादान।
मोरनी जैसी है तुम्हारी चाल——-इसे शायरी का रूप दिया तो मच गया धमाल।
सौन्दर्य है तुम्हारा ऐसा, कि बन चुकी हो तुम एक मिसाल।
हमारे ज़हन में है अब चौबीसों घंटे तुम्हारा ख़याल।
कल जब तुम गुनगुना रही थी, तो ऐसा लगा कि जैसे कूक रही हो कोयल।
उस पर तुम्हारे थिरकते पाँव और छमछम करती पायल।
जिस दिन से मैंने तुम्हें शब्दों में है पिरोया, उस दिन से हूँ मैं भी कुछ खोया खोया।
तुम्हारे कारण मैं भी अब हो गया हूँ मशहूर, और इस नामुराद दिल के हाथों भी हो गया हूँ मैं मजबूर।
छेड़ते रहते हैं दोस्त यार——कहते हैं ऐसी शायरी तो वो ही लिख सकता है जो इश्क़ में हो बीमार।
ख़ैर, अब जब लग चुकी है इश्क़ की लाइलाज बीमारी——तो बूझ सका मैं ये पहेली कि आख़िर क्यूँ छाई हुई है इतनी खुमारी ?
शायर तो यक़ीनन बन गया हूँ मुकम्मल———पर बहुत बेक़रारी अब भी है हर पल।
शायरी के साथ मेरे जीवन को भी कर दो पूरा, बन जाओ मेरी हमदर्द , मेरी हमनुमा।
अब जब भी इबादत करते हैं , तो उस ख़ुदा से माँगते हैं बस यही दुआ।
कि बन जाओ तुम मेरी सजनी, मेरी हमसफ़र, तुम्हारे शबाब और रूबाब का हुआ है मुझ पर जादुई असर———-!!
लेखक———निरेन कुमार सचदेवा
Beware, just one look and Cupid 💘 may strike.

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