
मंदिरों और मस्जिदों पर बँधे मन्नतों के बेशुमार धागे हैं इस बात का
सबूत——-!
कि हर मानव के दिमाग़ में जागरूक है कुछ ना कुछ और पाने का भूत——!
रब में हर किसी की कहानी में छोड़ा है कुछ ना कुछ अधूरा।
और निश्चित है कि हर कोई चाहता है इसे करना पूरा।
तो क्या वो उपरवाला भी कुछ जालसाज़ है ?
इसीलिए शायद सब करते हैं उसकी इबादत, इस शय में क्या छिपा यही राज़ है?
लेकिन इस में भी क्या है ग़लत , ईश्वर चाहता है कि हरेक को हो जीवन में आगे बढ़ने की हसरत।
हर कोई यक़ीनन चाहता है कि उसकी ज़िंदगानी की कहानी हो रूहानी ।
और वैसे भी मालिक का तो निस दिन करना ही चाहिए शुक्रिया।
उसी विधाता ने ही तो रची है
ये दुनिया ।
कीजिए मेहनत और परिश्रम , तो फिर सफलता चूमेगी आपके कदम।
फिर उस दिन आप गायेंगे और नाचेंगे छम छम।
ये मन्नतों के धागे , ये तावीज़——बहुत अजब है हर शय , हर चीज़।
इन धागों की बुनियाद है आस्था और निष्ठा।
मालिक तो सैदेव यही चाहता है कि उत्तम हो सब की प्रतिष्ठा ।
अच्छे कर्म कीजिए, नेकनामी के मार्ग का करें चयन।
फिर आप चरम शिखर पर पहुँच पायेंगे , और जीवन में भी होगा चैन और अमन ——-!
लेखक—-निरेन कुमार सचदेवा।