
न जान न पहचान,बस एक छोटी सी मुस्कान।
बन जाए कभी संगिनी, कभी दोस्त महान।
तेरी एक छोटी सी हॅंसी हर बाधा कर दे आसान।
हॅंसी तुम्हारे उर से निकले होंठ सुनाए तान।
व्यंग ना हो कभी हॅंसी में ,ना घटे दुर्योधन का मान।
व्यंग हॅंसी थी द्रोपदी की, महाभारत युद्ध हुआ महान।
रिश्तों में आ जाए मधुरता बैठ करें हॅंसी ठिठोली।
कितना प्यार बरसता,हम सब हॅंसकर खेले आंख मिचौली।
तेरी एक मुस्कान पर दे दे कोई जान।
तेरी एक छोटी सी हॅंसी कितनी बाधा कर दे आसान।
हॅंसना भी एक व्यायाम है, ना कर इसको तिरस्कार।
सारा जीवन गम में डूबे ना कर इसे बहिष्कार।
कौशल किशोर जी की कलम से
न जान न पहचान,बस एक छोटी सी मुस्कान।
बन जाए कभी संगिनी, कभी दोस्त महान।
तेरी एक छोटी सी हॅंसी हर बाधा कर दे आसान।
हॅंसी तुम्हारे उर से निकले होंठ सुनाए तान।
व्यंग ना हो कभी हॅंसी में ,ना घटे दुर्योधन का मान।
व्यंग हॅंसी थी द्रोपदी की, महाभारत युद्ध हुआ महान।
रिश्तों में आ जाए मधुरता बैठ करें हॅंसी ठिठोली।
कितना प्यार बरसता,हम सब हॅंसकर खेले आंख मिचौली।
तेरी एक मुस्कान पर दे दे कोई जान।
तेरी एक छोटी सी हॅंसी कितनी बाधा कर दे आसान।
हॅंसना भी एक व्यायाम है, ना कर इसको तिरस्कार।
सारा जीवन गम में डूबे ना कर इसे बहिष्कार।
कौशल किशोर जी की कलम से