कर ले इज़हार,कि आज मौका है
बता तुझे आखिर,किसने रोका है
प्यार का दिन है, हर तरफ जैसे
प्यार की हवा है,प्यार का झोंका है
हार मानना और पीछे हट जाना
प्यार में,ये खुद से ही एक धोखा है
फूल से भी नाज़ुक,जज़्बात हैं बेशक
प्यार लेकिन सबसे मजबूत होता है
दिल में कहीं उसके,तू भी रहता है
क्यूं उदास है भाई, क्यों तू रोता है
डॉ विनोद कुमार शकुचंद्र