कहाँ हैं नेताजी हमारे-“धर्मदेव सिंह”

आज भारत के युवा
जन जन से पूछ रहे
कहाँ हैं राष्ट्रवादी नेताजीहमारे ?

जिन्होंने घर परिवार तज
गुलामी की बेड़ियाँ काट फेंकने के लिए
एक क्रूर जाति के शासन विरुद्ध
फूँका था आजादी का विगुल
काटी थी जेल की कठोर सजा।

जालियाँवाला बाग में
जिसदिन इस क्रूर जाति के शासकों ने
खचाखच भरी सभा में
भारतीय मासूमों पर बरसाकर गोलियाँ
पाट दी थीं कटे द्रुम सम हजारों लाशें
उसदिन पल्लव सम काँपते क्रोध में वे
बोले थे कि
ओ दानव जाति के शासकों
सुन लो कर्ण खोलकर
व्यर्थ नहीं जायेगा इतने भारतीयों का बलिदान

लूँगा एक एक लाश का हिसाब।

कुछदिनोंपरांत
उन्होंने की एक सभा विशाल
युवाओं का किया उसमें आह्वान
बोले हे देश के युवा
तुम्हीं हो देश के भविष्य
अगर चाहते हो आजादी
तो तुम मुझे खून दो मैं दूँगा तुम्हें आजादी।

सुनकर उनकी ओजपूर्ण वाणी
युवाओं में भर आई नव शक्ति
सब के सब जोश में बोले
मैं दूँगा कुर्बानी मैं दूँगा कुर्बानी ।

इन्हीं युवाओं को ले उन्होंने
बनाई एक मजबूत आजाद हिंद फौज
जानकर
क्रूर जाति के शासकों में भर गया खौफ
हुई दोनों में भयंकर जंग
कुचल दिया दल सम हिंद फौज ने उनका बल
फहरा दिया जगह जगह तिरंगा
ध्वज
और बोलने लगे जय हिंद जय हिंद
सुनकर
थर्रा उठे पतंग सम अत्याचारी जाति के शासक।

किंतु दुर्भाग्य कि
कुछ महीनोंपरांत
दुर्घटनाग्रस्त हो गया विमान
नेताजी का नहीं चला कुछ पता
आज उनकी जयंती पर
शोक संतप्त हो युवा
यही कर रहे प्रश्न सबसे
कि कहाँ हैं कट्टर स्वतंत्रता सेनानी नेताजी हमारे?

धर्मदेव सिंह

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