किसी ने लिखा , ख़ामोशियाँ बेवजह नहीं होतीं , कुछ दर्द आवाज़ छीन लिया करते हैं , मैंने कुछ और पंक्तियाँ जोड़ी हैं-“निरेन कुमार सचदेवा”

ज़ख़्म कई तरह के होते हैं , लेकिन जुदाई के नामुराद ज़ख़्म ना जाने क्यूँ , हमेशा रिसते रहते हैं और कभी भी ना भरते हैं !
जब आवाज़ छिन जाती है तो आशिक़ हो जाता है ख़ामोश , और प्यार के छिन जाने के कारण वो हो जाता है एक अलग तरह का सरफ़रोश ।
क्यूँकि आजकल ज़माना ही डालता है , प्यार की राहों में रुकावटें , नादान नासमझ लोग नहीं समझ पाते कि क्या होती हैं प्यार की आहटें ।
बेबस आशिक़ , होती ही है मायूसी , और सरफ़रोशी की तमन्ना , लड़ना चाहता है ज़माने से , लेकिन क्या करे असहाय अकेला बेचारा ?
कब तक लड़ पाएगा वो इस ज़माने से , लोग तो यही कहेंगे , है पागल मजनू दीवाना , है बेकार आदमी , है नकारा ।
जब इश्क़ मुकम्मल नहीं होता तो एक अजीब सी घुटन होती है , किस से बयान करे वो अपने दिल की दास्तान , पत्थर दिल हो चुका है आज का इंसान ।
कभी कभी जब दर्द की इंतहा हो जाती है तो ऐसे भी क़िस्से सुनने में आये हैं कि आशिक़ ने निराश होकर अपनी जान तक गवाँ दी , प्यार करने की उसे ये सज़ा मिली !
अह काश कि ये दुनिया जान पाती कि क्या होतीं हैं दर्दे दिल की ख़ामोशियाँ , अह काश कि लोग समझ पाते कि क्या होती हैं इश्के मोहब्बत की बारिकियाँ ।
बहुत नाज़ुक होने पर भी ये दिलों के बंधन होते हैं फ़ौलादी !
और इश्क़ कामयाब ना हो तो फिर शायद मौत ही दे पाती है इन प्रेमियों को इस कमबख़्त दर्द और पीड़ा से आज़ादी ।
समझ में नहीं आता कि सदियाँ बीत चुकी हैं , फिर भी हम इंसानों का क्यूँ है ऐसा रव्वैय्या ?
आख़िर कौन है इन प्रेमी जोड़ियों की नैय्या का खेव्वैय्या ?
मालिक मेरे , क्या तू इस बात से कर सकता है इनकार , क्या तूने नहीं इजात किया है अहसासे प्यार ?
यक़ीनन तेरा जवाब हाँ है ,तो मौला मेरे तू ही निकाल कोई ऐसी तक़रीब ।
कुछ ऐसा करिश्मा हो जाए कि इश्क़ हमेशा मुकम्मल हो , बदल दे कुछ इस तरह से इन आशिक़ों का नसीब !!
I wish all true love 💕 stories have a happy ending!!

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