कोमलांगी तुम तो हृदय में रखतीं करुणा अपार!
हर रिश्तें तुमसे!हर रिश्तें का तुम आधार!
जन्मदात्री तुम तो जग की !
फिर भी दुनिया कहॉं माने तेरा उपकार ?
हर रिश्तें में लुटाती तुम तो प्यार ही प्यार!
आज भी नारी के प्रति कहॉं फिर भी वो आदर सत्कार ?
कोख से ही होते उस पर अत्याचार!
बेटियों को कहां आज भी बेटों से अधिकार ?
पढ़ कर क्या करना है?
क्या करोगी कमाकर?
रसोई संभालों तुम तो बस जाकर !
व्याभिचार की वस्तु नहीं नारी !
ना किसी की है जागीर !
शक्ति है वो तो पुरूष की जाने ना ये क्यों संसार!
जिस दिन जाग्रत हुई एक साथ नारी शक्ति!
घुटनें टेक देगा पुरा संसार!!
राजमाला आर्या ✍🏻
खंडवा मध्यप्रदेश से
राजमाला आर्या ✍🏻
खंडवा मध्यप्रदेश से
बहुत सुंदर लिखा लाजवाब अति उत्तम