
राह प्रेम की हो तो, फूल बिछा दीजिए।
प्यार की नज़र पर पर्दा लगा दीजिए।।
पाली नफरत को नजर अंदाज करो,
वक्त देगा जबाब ध्यान छुड़ा दीजिए।
शान का गुमान का चाहे हो करम का हिसाब,
खामोश रहके मन से अधीरता हटा दीजिए।
बाग में तितलियों को उड़ते हुए निहारें,
फूलों से प्यार कांटों को उड़ा दीजिए।
हार जीत की कहानी का एतबार न सही,
अपनी वीणा के तारों को भुला दीजिए।
माना सहनी पड़ी बेइज़्ज़ती ज़माने से अगर,
‘सुमन’ दिलकशी की बात को विदा दीजिए!!
(स्वरचित)
_डॉ सुमन मेहरोत्रा
मुजपफ्फरपुर, बिहार