दिल को लेकर चलते व्यापार हुआ तो कैसे।
अश्क जमा न कर सके इजहार हुआ तो कैसे।।
माना नासमझ दिल हमारा तब ही रोता है।
मोहब्बत कहलाई दमदार हुआ तो कैसे।
हर मंजिल सब राहें मेरे रॅंग में हैं तुम सॅंग,
दिल तन्हा रह मेरा दिलदार हुआ तो कैसे।
हां खुद ही अब ढूंढ़े हम हृदय कहीं हैं खोए,
बतलाओ यह प्यारा परिवार हुआ तो कैसे।
रोने के हित हैं जीवन में बहुत बहाने जी,
गाने को सुमन गजल इकरार हुआ तो कैसे।
(स्वरचित)
_डाॅ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार