
मेरे अज़ीज़ों , आज एक ऐसा अनुभव हुआ जिस ने मुझे ये चंद पंक्तियाँ लिखने को कर दिया विवश, थी गफ़लत , थी कश्मकश।
पूछो क्यूँ, दो दिन पहले मेरी 40th Wedding anniversary का दिन है (15/1/2024 तारीख़ थी उस दिन), तो सब ने भेजीं शुभ कामनाएँ और हम फूले ना समाये।
सब ने कहा, A very very happy anniversary, आशीर्वाद मिले हज़ारों, शुक्रिया मेरे अज़ीज़ो , मेरे यारो।
फिर अचानक हमें ये ख़याल आया कि कुछ दिन पहले “हिन्दी दिवस” था , तो Happy anniversary , का हम हिन्दी में करें अनुवाद।
और फिर देखिए क्या हुआ उसके बाद।
बहुत कोशिश की लेकिन हमें मिली नाकामयाबी , बहुत शर्म आयी, उड़ गयी चेहरे से रंगत गुलाबी।
फिर अचानक एक दोस्त साबित हुआ एक फ़रिश्ता , उसका हिन्दी से था एक अभिन्न नाता और रिश्ता।
“गठबन्धन दिवस” की हो मुबारकबाद , उस दोस्त ने लिखे ये अल्फ़ाज़, और इन शब्दों ने बदल दिया मेरे सोचने का अन्दाज़।
सच कहना, कितने लोगों को मालूम था ये अनुवाद, इन अंग्रेज़ी शब्दों से अब हमें हो जाना चाहिए आज़ाद!
तो वादा करो कि आज से आप Happy anniversary ना कह कर , बधाई देने के लिए आप “गठबन्धन दिवस” का करेंगे उपयोग।
यकीनन फिर आपको ज़्यादा मान सम्मान देंगे सब भारतीय लोग।
हम सब क्यूँ इस पश्चिमी सभ्यता के हो रहें हैं ग़ुलाम, इसीलिए ऐसा हो रहा है परिणाम ।
हम सब भारतवासी हैं , हिन्दी हमारी भाषा है , सब इसका प्रयोग करें, ये मेरी अभिलाषा है !
मैंने गूगल का नहीं किया इस्तेमाल , लेकिन एक हिंदी में निपुण दोस्त से की बातचीत ।
तो उस यार ने कहा , “गठबंधन दिवस” कहें या “वर्षगाँठ की शुभकामनाएँ”, या कहें “परिणय दिवस”, ये सब अनुवाद हैं उचित।
तो आज ये आप इन अल्फ़ाज़ों का करेंगे प्रयोग , कीजिए मुझ से वादा, हिन्दी भाषा को एक अहम स्थान देने का है मेरा इरादा!
मेरे मेहेरबानो , क्या आप मेरी इस नसीहत से हैं सहमत, सच बताना , क्या यही है आपकी भी राय, क्या यही है आपका भी मत?
आपके जवाब का मुझे इनतज़ार रहेगा जनाब।
लेखक——निरेन कुमार सचदेवा।