होतीं हैं ग़लतियाँ हरेक से मगर , कुछ जानते नहीं , कुछ मानते नहीं ।
कुछ समझते नहीं , कुछ जान कर भी समझना चाहते नहीं ।
सच पूछो , तो ऐसे इंसान हमें दिल से भाते नहीं ।
वो ठहराव वाले, अनुभवी और सहनशील इंसान , क्यूँ आजकल नज़र आते नहीं ?
उस परमात्मा के सिवा , और कोई भी नहीं है सोलह कला सम्पूर्ण , इस बात को बख़ूबी जान लो ।
और तुम में और बेहतर होने की क्षमता है, ये भी मान लो ।
ख़ूबियाँ हैं सब में, तो हैं ख़ामियाँ भी , हैं कमियाँ भी ।
ख़ामियाँ ढूँढोगे , तो ही तो बन पायोगे एक अच्छे इंसान ।
समाज में भी मिलेगा फिर एक ऊँचा स्थान, अधिक मान और सम्मान ।
तुम्हारा ज़मीर भी तुम्हें देगा शाबाशी , और फिर तुम्हें बहुत ख़ुशी ।
अज्ञानता के समुन्दर में ही गोते लगाते रहोगे , तो यक़ीनन डूब जायोगे !
अपार ज्ञान के समुन्दर में बह कर देखो तो सही , यक़ीनन छोर
तक पहुँच पायोगे।
तो सार यही है , यही है निष्कर्ष , हमेशा और बेहतर बनने के लिए करो संघर्ष !
फिर ज़िंदगी में होगी ख़ुशहाली ही ख़ुशहाली और होगा उल्लास और हर्ष !
कवि———निरेन कुमार सचदेवा।
My dear friends, let’s all strive to become better human beings !
Learn from your mistakes!
And for that the basic principle is to admit that we all make mistakes frequently!!