चाँद सी महबूबा हो मेरी, कब ऐसा मैंने सोचा था-“निरेन कुमार सचदेवा”

एक अज़ीज़ यार ने लिखा , नागरिकता तो तुम्हारी भी check होनी चाहिए , लगता है तुम चाँद से आयी हो , मैंने कुछ और पंक्तियाँ जोड़ी हैं ———————

इतना हुस्न तो आजतक किसी इंसान में हम ने देखा नहीं ,लगता है तुम हुस्न की देवी की परछाईं हो ।
मेरी नागरिकता का तो प्रमाण है मेरे पास , दुआ करता हूँ कि तुम्हें भी नागरिकता मिल जाए , हम तुम बिन अब जी नहीं सकते , तुम कुछ इस क़दर दिल को भायी हो ।
सिर्फ़ दिल में ही नहीं ,ख़्वाबों ख़यालों में भी तुम हो , दिमाग़ में भी तुम हो, तुम कुछ इस क़दर हम पर छाई हो।
नागरिकता इस नाज़नीन को हासिल हो जाए ऐ खुदा , मैं चाहता हूँ कि तेरी ऊपरी अदालत में भी इस मामले में सुनवाई हो ।
जानता हूँ कि फ़ैसला तो मेरे पक्ष में ही होगा , क्यूँकि मैं करने लगा हूँ इस माहजबीन से सच्ची मोहब्बत ।
और अब ,सिर्फ़ और सिर्फ़ इसे अपना बनाने की , पाने की है मुझे हसरत ।
सोचता हूँ अगर इसे नागरिकता ना मिली तो फिर मैं क्या करूँगा , शायद फिर चाँद पर इसके साथ जा बसूँगा !
चाँद पर तो नागरिकता की जद ओ जहद तो अभी शुरू नहीं हुई है , तो फिर चाँद पर तो होंगे सिर्फ़ हम दो प्राणी ।
तो बहुत ख़ुशनुमा और ख़ुशहाल कट जाएगी वहाँ हम दोनो की जिंदगानी ।
अब मैं कश्मकश में हूँ , मैं इसकी नागरिकता के लिए अर्ज़ी दूँ या ना दूँ , क्या बेहतर होगा , धरती पर रहना , या चाँद पर बसना ?
चाँद पर अब इंसान का जाना तो है सम्भव , पर सफ़र महँगा बहुत है , और इतनी दौलत इस ज़िंदगी में जमा करना मेरे लिए तो है असम्भव !
दोस्तो , अब आप ही कोई दो सुझाव , इस हसीना से मुझे हो गया है बहुत लगाव ।
क्या कहा आपने , नागरिकता के लिए अर्ज़ी दे दूँ ईश्वर ने चाहा तो अर्ज़ी हो जाएगी मंज़ूर , मैं ऐसा ही करूँगा हुज़ूर ।
इतनी ख़ूबसूरती फिर एक ही इंसान में रब तुझे नहीं चाहिए थी बनानी !
देख , अब मैं किस तरह से हो गया हूँ दीवाना , विडम्बना ये है कि मुझे ये मालूम नहीं कि क्या वो भी है मेरी दीवानी ?
ख़ैर , दे रहा हूँ मैं अर्ज़ी , दोस्तो मेरे लिए दिल से करना दुआ , मालिक तेरा रहमत करम चाहिए , मदद करना मेरी , ऐ खुदा !
लेखक——-निरेन कुमार सचदेवा
Just for laughs , keep smiling always my dears

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