
ज़िन्दगी को यूं न आजमाना चाहिए।
फ़र्ज़ तो फ़र्ज़ है उसको निभाना चाहिए।।
मेरे यकीन को तुमने अब कहीं का छोड़ा नहीं।
अब वफा की उम्मीद न हमसे लगाना चाहिए।।
खामोशी मेरी बहुत कुछ कह जाती हैं चुपचाप ही।
ये जरुरी है नही कि शोर ही मचाना चाहिए।।
कोशिशें बहुत की अक्सर तुम्हें समझाने की।
न समझ सको हमे तो अब कैसे बताना चाहिए।।
याद उसको क्या करें जो याद करता ही नही।
भूल कर हर बात को सबकुछ भुलाना चाहिए।।
इक अजब से मोड़ पर ज़िन्दगी ले आई है।
सोंच कर हर इक कदम तुमको उठाना चाहिए।।
अनूप दीक्षित”राही
उन्नाव उ0प्र0