जाड़ों पड़ न असो जाड़ों पड़
मन कर रजाई म आड़ो पड़
एक रजाई स काम नी चल
लुगाई ख रजाई म लानू पड़।।
म्हारी लुगाई म ख खूब उठाव
मन मारी न म ख उठनू पड़
दूध वालो भी घर नी आवतो
दूध लेना ख मख जानू पड़।।
ओ का बगैर वा चाय नी बनावती
अदरक भी बाजार स लावणू पड़
चाय फीकी या फिर मीठी
चुपचाप ओ ख पीणू पड़।।
म्हारी लुगाई कलेक्टर स बड़ी
ओ को आदेश म ख सुननू पड़
नी सुनो तो महाभारत हुई जाव
शांति स घर म म ख रयनू पड़ ।।
पानी गरम की बात ई मत पूछो
ठंडो पाणी स मख नहानू पड़
सुबह सुबह उठना को मन नी कर
फिर भी सुबह सुबह मख उठनू पड़।।
जाड़ो पड़ न असो जाड़ों पड़
मन कर रजाई म अरु आडो पड़
अभय चौरे हरदा मप्र