
जिंदगी हमें मिली, जी भर के जीने के लिए,
जिंदगी में तू नहीं, तो जिंदगी किस काम की।
शान ओ शौकत,और रुतबा हैं दिखाने के लिए,
मन का गर मीत न,जिंदगी बस नाम की।
जल रही हैं सांसे,शबनम को पाने के लिए,
अब तो तलब बढ़ने लगी , देख साकी जाम की।
रौनक ए छाने लगी,दीदार ए शहर के लिए,
हमें तो सुकून चाहिए,बस तेरे एक शाम की।
तू बसा दिल में,जिंदा तेरे आशियानें के लिए,
महफूज़ तू हरदम रहेगा,कसम है मेरे राम की।
रजनी प्रभा