जिन्दगी

सच्चाई है कि जिंदगी हमें हकीकत से रूबरू कराती है और बतलाती है कि तुम जैसा चाहों वैसा जिंदगी जीयो किन्तु हम इतने बेहोशी में जीते हैं

कि अपने ऊपर ही ज्यादती करते रहते हैं हमेशा दूसरे को खुश करने के चक्कर में अपने वजूद को ही खो देते हैं और वजूद खोने बावजूद नअगलाखुश रह पाता है न आप ही खुश रह पाते हैं ,अच्छा हो कि पहले अपने आप को खुश रखा जाय ।

अहसासों को भावों में पिरो लिखता हूँ

अपनी ही दुनिया में, मैं खुश रहता हूँ,

न किसी से शिकवा, शिकायत, न वादे,वफ़ा

सभी को देखते, समझते, बढ़ी जाता हूँ

न कोई गम रहा,न गम की कोई बात रही

सुकूनने जिंदगी में जीने की वजहात मिली

ऐ जिंदगी ,जब भी मैंने ,गौर से देखा तुझको मिला अहले वफ़ा तुझसे, हमेशा मुझको

इसलिए दिखाएं ,चले जाते हैं, वफ़ाएं तुझको

इसलिए दिखाएं, चले जाते हैं,वफ़ाएं तुझको।

श्याम देव प्र० पंडित गोपालगंज बिहार ✍️

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