दिलवर वो मुझको-“विकास अग्रवाल”

दिलवर वो मुझको अपना बना कर चले गये ।
बेहद हसीं-सा ख़्वाब दिखा कर चले गये ।। मत्ला ।।

आँखों में आँसू छोड़ हँसा कर चले गये ।
वो ज़िन्दगी को जीना सिखा कर चले गये ।। हुस्न ए मत्ला ।।

आँखों में जब खुशी दिखी मेरी ज़रा-सी तब ।
वो बेवजह ही मुझको रुला कर चले गये ।।१।।

मैं रात जागने के लिए सोचता रहा ।
वो आये और मुझको सुला कर चले गये ।।२।।

यादें रखी थी उनकी जो मैंने सँभाल कर ।
सामान वो पुराना उठा कर चले गये ।।३।।

दिल दर्द को भुला चुका था पहले ही मगर ।
बातें भुली हुई वो सुना कर चले गये ।।४।।

जब ज़िन्दगी ने मोड़ लिया एक फिर नया ।
ग़म अपने सब पुराने भुला कर चले गये ।।५।।

अब कौन याद करता है वो ज़िन्दगी कभी ।
वो पास अपने मुझको बुला कर चले गये ।।६।।

उनको बुला लिया है यही सोच कर अभी ।
गुस्से में क्यों दिमाग़ हिला कर चले गये ।।७।।

ये दोस्ती निभाने के ही वास्ते की है ।
यूँ अपना सारा प्यार लुटा कर चले गये ।।८।।

पूछो “विकास” उनसे सवालात फिर वही ।
यादें पुरानी सारी मिटा कर चले गये ।। मक़्ता ।।


धन्यवाद

©® विकास अग्रवाल “बिंदल” , भोपाल मध्यप्रदेश

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *