दोस्त! जिंदगी से जिंदगी की एक तस्वीर मांगी हमने,
जिंदगी ने आगे बढ़कर आईना ए जिंदगी दिखा दिया।
बोली कुछ भी नहीं वो और सब कुछ कह गयी मुझसे,
हैसियत क्या है मेरी, इक पल में उसने ये बता दिया।
जिंदगी से कहा मैंने इतनी बड़ी चाहत तो नहीं है ये,
चुपके से नजरों पे गिरा वो इश्क़ का पर्दा हटा दिया।
मुझे भी साफ साफ नजर आने लगा सब कुछ अब,
छोड़कर मोह माया कदम फकीरी की ओर बढ़ा दिया।
दिल को मिला सुकून कि झूठे भ्रम से निकल गया,
“विकास” ने भैरव भक्ति में अपना ध्यान लगा दिया।
©® डॉ विकास शर्मा