भूल गये वे लोग सब, उम्र रहे जिन संग।
दुनिया के इस रंग को, देख हुआ मैं दंग।।
जहाँ हुए असहाय हम, सबने खींचे हाथ।
यही चलन संसार का, मेरे भोलेनाथ।।
कैसी लीला आपकी, चलती का संसार।
जब हो गठरी हाथ में, इर्द-गिर्द परिवार ।।
जीवनभर जिनके लिए, रहे हम परेशान।
उनको अब लगने लगे, बोझ हम भगवान।।
भीम सिंह नेगी, गाँव देहरा हटवाड़, जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश।